Friday, January 10, 2014

हिस्सा

सबको चाहिए अपना हिस्सा, चाहे वो हो तिनका या इंसान, या कोई भगवान्!


सबको है चिंता अपने हिस्से की,
सबको फ़िक्र है अपने किस्से की,
सब हैं मायूस से चूर-चूर,
हैं अपनी ही धुन में सबसे दूर!


सब प्यार की बातें करते हैं,
सब ख़ुशी के कुछ पल ढूंडते हैं,
सबको है प्यार का एक वहम,
सबको आये न खुद पे ये रहम!


सबको है कल की ही चिंता,
कोई आज के पल है नही बिनता,
सब सोच-सोच के परेशां हैं,
ये क्या है सुकूं जो नही मिलता!


ऐ दिल रुक जा थम जा बस अब,
यूँ ना हो धड़कन से तू जुदा,
लिखा है कहीं हमने भी सुना,
यूँ तुझको तसल्ली देने को,
कहीं ज़मी तो कहीं आसमा नही मिलता!!

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