Tuesday, June 24, 2014

वो वक़्त कभी तो आना है

ख़ामोश सा पानी अब,
जम गया है इन आँखो में,
शिकायतें बोहोत हैं,
पर अब आह नहीं है सांसो में!!

सोचा एक शक्स मिला है,
दिल की बात बताने को,
जब जब सोचा कुछ उसे बतायें,
वो रूठ गया हमें रुलाने को!!

अपना किस्सा बस अपने तक,
रह जाता मन के ही भीतर,
एक पल में यूँ ही लगता है,
हो गया है सब फिर तितर-बितर!!

तिनके तिनके जोड़े जाते,
फिर आता है तूफ़ान सा इक,
बह जाती हैं दिल की खुशियाँ,
मन ढूँढता है साहिल फिर इक!!

बातों बातों में हम क्यूँ यूँ ही,
अफ़साना बनाने लगते हैं,
कहने सुनने से ऐसे ही,
इंसान कहाँ यूँ बदलते हैं!!

बदला वक़्त बुलाता है,
किन्ही राहों पे चलते हुए,
हम देखते हैं फिर आईने को,
पलकें बंद और खुलते हुए!!

तकदीर के इन खिलोनो से,
खेल के अब मैं थक सा गया,
रोया भी बोहोत और रुलाया भी,
सब्र का फल अब पक सा गया!!

दिन रात के पंख जो होते तो,
उड़ने ना देते हम इनको,
यूँ पास ही रखते बचपन अपना,
ना दुखने देते किसी दिल को!!

यूँ साँस अटक जाती है कभी,
लगता है वक़्त है आने को,
इक आस अभी भी रक्खी है,
कोई मिले हमें ले जाने को!!

समझे कोई इस दिल की धड़कन,
समझे मैं क्यूँ क्या बोलता हूँ,
दुतकारने को दुनिया सारी,
बस इक शक्श कि राह मैं तकता हूँ!!

पता है तुम भी हो नादान,
हँसती हो मेरी बातों पे,
कुछ वक़्त ही ऐसा गुज़रा है,
ना समझा मुझे कोई सालों से!!

पर है यकीं कि कभी होगा,
इस राह से कोई गुज़रेगा,
हमें भी दुआ देगा कोई,
कोई प्यार से हमको समझेगा!!

और वो तुम होगी और कोई नहीं,
किसी और को ना समझना है,
बैठे देखेंगे पलों को हम,
वो वक़्त कभी तो आना है!!

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