Tuesday, June 24, 2014

इम्तिहान

इम्तिहान की हद हो गई,
अब तो एक ज़िद हो गई,

माना सनम बहुत बुरे हैं हम,
पर यकीन करो खुद का,
कि तुम भी कोई कम नहीं,

अब बोलते हो फ़ैसलों की ज़ुबान,
क्या मेरा कोई ख़त, अभी तक पढ़ा नहीं?

रात भर जागे हम तेरे लिए,
और कहते हो कि सपना क्यों तेरा लिया नहीं?

सुना है प्यार का ऐतबार होता है उससे बड़ा,
ऐतबार करें या प्यार, दिल को कभी सूझा नहीं,

चिलमन से रोशनी की बात करते हैं वो,
एक दिया दिल में जिनके कभी जला नहीं,

चाँद और तारे तोड़ तो लाता मैं तेरे लिए,
बस हाथ का तेरे साथ मुझे कभी मिला नहीं,

यूँ गुम-सुम ना रहो बस मुस्कुरा दो एक बार,
कल पता चले, ये वक़्त भी रहा नहीं!!!

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